जयपुर। Ganesh Chaturthi and Teej: आज 2 सितंबर को शुक्त पक्ष तृतीया तिथि और चतुर्थ तिथि दोनों हैं। आज दोपहर 11:55 बजे से चतुर्थी तिथि शुरू हो रही है। जबकि दोपहर 11:55 तक तृतीया तिथि है। तृतीया की उदया तिथि के कारण आज सोमवार को बेहद दुर्लभ शुभ संयोग में भगवान शिव पार्वती को समर्पित व्रत और पर्व हरतालिका तीज आज ही मनाया जा रहा है।
गणेश स्थापना का शुभ मुहूर्त..
गणेश चतुर्थी के दिन गणपति की पूजा दोपहर के समय करना शुभ माना जाता है, क्योंकि मान्यता है कि भाद्रपद महीने के शुक्लपक्ष की चतुर्थी को मध्याह्न के समय गणेश जी का जन्म हुआ था। गणेश चतुर्थी पर मध्याह्न काल में अभिजित मुहूर्त के संयोग पर गणेश भगवान की मूर्ति की स्थापना करना शुभ रहेगा। पंचांग के अनुसार अभिजित मुहूर्त सुबह लगभग 11.55 से दोपहर 12.40 तक रहेगा। इसके अलावा पूरे दिन शुभ संयोग होने से सुविधा अनुसार किसी भी शुभ लग्न या चौघड़िया मुहूर्त में गणेश जी की स्थापना कर सकते हैं।
मान्यताएं..
इस दिन लोग मिट्टी से बनी भगवान गणेश की मूर्तियां अपने घरों में स्थापित करते हैं। इस पूजा के दौरान भगवान गणेश के पसंदीदा लड्डू का भोग लगाया जाता है। इसमें मोदक, श्रीखंड, नारियल चावल, और मोतीचूर के लड्डू शामिल हैं। इन 10 दिनों के पूजा उत्सव में लोग रोज सुबह शाम भगवान गणेश की आरती नियमित रूप से करते हैं। व्यवस्था के अनुसार आयोजक भजन संध्या का भी आयोजन करते हैं।
श्रीकृष्ण ने बताई थी महत्ता..
भगवान श्रीकृष्ण ने महाभारत काल में युधिष्ठिर को विघ्नहर्ता की पूजा का महत्व बताया था। इसके प्रभाव से पांडवों ने कौरवों पर विजय प्राप्त की। इस दिन से सात, नौ या दस दिनी जन्मोत्सव भी मनाया जाता है। महाराष्ट्र में इसकी खूब धूम होती है। काशी में भी इसका रंग साल-दर-साल निखरता जा रहा है।
व्रत संकल्प, मोदक का भोग..
ज्योतिषाचार्य पं. ऋषि द्विवेदी के अनुसार गणेश प्रतिमा की स्थापना कर मंत्रोच्चार, ध्यान, आसन, पाद्य, अर्घ्य, आचमन, पंचामृत स्नान, वस्त्र भूषण, यज्ञोपवीत, सिंदूर आदि से पूजा करनी चाहिए। लड्डू, ऋतु फल, दुर्वा आदि नैवेद्य मंत्र संग अर्पित करना चाहिए।

यूपी की ढेलहिया चतुर्थी..
भाद्रपद शुक्ल पक्ष की Chaturthi यूपी में ढेलहिया चौथ भी कहा जाता है। ढेलहिया चौथ पर चांद के दर्शन से कलंक लगता है। ऐसा कहा जाता है कि इस दिन चंद्रमा को देखने से चंद्र दोष होता है। अत: रात 8.41 बजे यानी चंद्रास्त के समय तक चंद्रमा की ओर नहीं देखना चाहिए।
विघ्न विनाशक प्रभु श्रीगणेश के इस जन्मोत्सव व्रत पर्व को महाराष्ट्र में सिद्धि विनायक व तमिलनाडु में विनायक चतुर्थी तो बंगाल में सौभाग्य चतुर्थी के रूप में मनाते हैं। इस दिन मानव जीवन के सभी तरह के पाप नष्ट हो जाते हैं।
गणेशजी की कथा..
पौराणिक कथाओं के अनुसार, एक बार माता पार्वती स्नान करने से पहले चंदन का उपटन लगा रही थीं। इस उबटन से उन्होंने भगवान Ganesh को तैयार किया और घर के दरवाजे के बाहर सुरक्षा के लिए बैठा दिया। इसके बाद मां पार्वती स्नान करने लगे। तभी भगवान शिव घर पहुंचे तो भगवान गणेश ने उन्हें घर में जाने से रोक दिया। इससे भगवान शिव क्रोधित हो गए और गणेश सिर धड़ से अलग कर दिया। मां पार्वती को जब इस बात का पता चला तो वह बहुत दुखी हुईं। इसके बाद भगवान शिव ने उन्हें वचन दिया कि वह गणेश को जीवित कर देंगे। भगवान शिव ने अपने गणों से कहा कि गणेश का सिर ढूंढ़ कर लाएं। गणों को किसी भी बालक का सिर नहीं मिला तो वे एक हाथी के बच्चे का सिर लेकर आए और Ganesh भगवान को लगा दिया। इस प्रकार माना गया कि हाथी के सिर के साथ भगवान गणेश का दोबारा जन्म हुआ। मान्यताओं के अनुसार यह घटना चतुर्थी के दिन ही हुई थी। इसलिए इस दिन को गणेश चतुर्थी के रूप में मनाया जाता है।

हरतालिका तीज..
महिलाएं अपने पतियों की लंबी उम्र के लिए हरतालिका तीज का व्रत रखेंगी। Ganesh Chaturthi और Teej दोनों एक साथ इसलिए मनाई जाएंगी क्योंकि आज 2 सितंबर को शुक्त पक्ष तृतीया तिथि और चतुथी तिथि दोनों हैं।
तीजा का कठिन व्रत आज शुरू..
हरतालिका तीज यानी तीजा का कठिन व्रत आज मनाया जा रहा है। व्रत रखने वाली महिलाएं कल 12 बजे रात से पानी और खाना छोड़ चुकी हैं। पूरे दिन पूजा पाठ करने के साथ ही आज रात्रि जागरण भी करेंगी। इसके अगले दिन यानी मंगलवार को सुबह भगवान शिव और मां पार्वती की पूजा करने के बाद व्रत का पारण कर अन्न जल ग्रहण करेंगी। यानी व्रत के दौरान इन 24 घंटों तक वह बिजा जल और भोजन के ही रहेंगी।