‘चंद्रयान-2’ को सफलतापूर्वक प्रक्षेपित कर दिया गया है। आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा में रॉकेट लॉन्चर – GSLV Mk III के ज़रिये भारत ने फिर से ‘चंद्रयान-2’ को चांद पर पानी की मौजूदगी तलाशने के लिए और भविष्य में मनुष्य के रहने की संभावना भी तलाशने के लिए भेजा गया है।
पहला फायदा- सौरमंडल के रहश्यो को तलाशेगा..
ISRO के अनुसार सौर मंडल के फॉसिल रिकॉर्ड’ तलाश किए जाएंगे, जिसके ज़रिये यह जानने में भी मदद मिल सकेगी कि सौरमंडल में उसके ग्रहों और उनके उपग्रहों का गठन किस प्रकार हुआ था।
दूसरा फायदा- अंतरिक्ष में उपग्रह पहुंचाने के डील और ‘लीडर’ के रूप में उभरेगा भारत..
इस मिशन के बाद भारत उपग्रहों की डील हासिल कर पाएगा, यानी भारत अंतरिक्ष के क्षेत्र में अपनी क्षमता साबित कर सकेगा, जिसकी मदद से हमें अन्य देशों के उपग्रहों के अंतरिक्ष में भेजने के करार हासिल हो पाएंगे।
तीसरा फायदा- इंसान के रहने की और पानी की खोज करेंगा..
‘चंद्रयान-2’ के लॉन्च के बाद भारत दुनिया का चौथा ऐसा देश बन गया है, जिन्होंने चंद्रमा पर खोजी यान उतारा। ‘चंद्रयान-2’ में मौजूद 1.4 टन का लैंडर ‘विक्रम’ अपने साथ जा रहे 27kg के रोवर ‘प्रज्ञान’ को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतारेगा। लैंडिंग के बाद, ‘प्रज्ञान’ चांद की मिट्टी का रासायनिक विश्लेषण और ‘विक्रम’ वहां की झीलों को मापेगा। चंद्रयान-1 के ज़रिये पानी के अणुओं की मौजूदगी का पता लगाने के बाद से भारत ने वहां पानी की खोज जारी रखी है, क्योंकि चंद्रमा पर पानी की मौजूदगी से ही भविष्य में यहां मनुष्य के रहने की संभावना बन सकती है।